Tag: Rajeshwar Vashistha

उदासी : चार कविताएं

राजेश्वर वशिष्ठ 1.रुद्र प्रयाग में बड़े वेग से लुढ़क रहा है जल चट्टानों की त्रिवली में.किनारों पर कांप रहे हैं पेड़ और घुमावदार सड़कें किसी पुराने मंदिर की साक्षी में.अचानक…

चाह – चाय दिवस पर

राजेश्वर वशिष्ठ हज़ारों साल पुरानी बात है – मैं बैठा हूँ चीन के सम्राट शेन नुंग के साथ उनके एक बहुत बड़े बगीचे में। लोग कहते हैं यह अजीब बादशाह…

मछलियों के लिए महाभारत

राजेश्वर वशिष्ठ वे एकमत नहीं थेसम्भावित तूफान को लेकर।उनकी नावें और जालपड़े थे किनारे परपेट में भूख तड़प रही थीकिसी मछली की मानिंदवे निराश थेपाँच पाण्डवों की तरह। धर्मराज युधिष्ठिर…

काशी/बनारस/वाराणसी

राजेश्वर वशिष्ठ इन दिनों खामोश है काशीबेचैन है बनारसऔर उद्वेलित है वाराणसीभीड़ बहुत हैजो नहीं आई है शिव खोजनेवे यहाँ मर करमुक्ति पाने भी नहीं आए हैंपाण्डवों की तरह ब्रह्म-हत्या…