Tag: Nishant Rana

पिछले लेख से जो भारत में पनपे माओवाद, वामपंथी रोमांस को समझने के क्रम में जो सीरीज शुरू की थी उसी अगली कड़ी में बस्तर के आदिवासी इलाकों में पैर जमाए माओवाद और एनजीओ के कुचक्र को इस लेख में आगे समझ सकते है –

भाग – 2 Nishant Rana शुरुआत भारतीय समाज को साथ लेकर कुछ बातों की पड़ताल करते है – भारत का ग्रामीण समाज जहां विकास धीमी गति से ही पहुंचा। इस…

तानाशाह स्तालिन, भ्रष्ट कम्युनिस्ट दर्शन, इस सब हिंसक मानसिकता को समर्पित फायदा उठाते धूर्त एनजीओ दुकानदार और भारत का आम आदिवासी व क्रांति के नाम पर बेवकूफ बनाए जा रहे आम ईमानदार कार्यकर्ता।

भाग 1 तानाशाह स्तालिन – Nishant Rana 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद स्तालिन ने अपना ही इतिहास लिखना शुरू किया। इसकी शुरुआत स्तालिन ने की सेंसरशिप के साथ।…

डिजर्विंग है, मेहनत की खा रहे जैसी बातों का भ्रम बनाम वास्तिवकता

एक मजदूर की आय और एक इंजीनियर की आय में अधिकतम दो गुने का अंतर तो समझ आता है। कई देशों में यहीं स्थिति है कि ज्यादा स्किल वाले को…

पितृ-सत्ता का पैटर्न/कारण इत्यादि-  

नोट – 1. इस लेख में हमारे संबंधों या हमारे एक्शन से संबंधित कई बातें दिखने में ऐसी हो सकती है जो पितृ-सत्ता संबंधित कारकों के परिणाम जैसी हो लेकिन…

वैज्ञानिक चेतना-अनुसंधान बनाम वैज्ञानिक बाबूगिरी

जब हम इस प्रकार के दावे करते है कि दुनिया का सारा विज्ञान वेदों से निकला है तो एक प्रश्न पूछते चलते बनता है कि हमारे द्वारा दैनिक जीवन में…

कदम और सड़क

सड़क अंधेरो को कम करने के वास्ते लाए थे रोशनी,ये तो नहीं कहा था कि रात ही ले जाएंगे;पुल जिसने कहा था कि ले जायेगा उस पार,जाने कैसे खुद पी…

कोरोना अपडेट्स

1 कोराना को लेकर कुछ बातें जेहन में बैठा लेनी चाहिए –कोराना का अभी तक कोई इलाज नहीं है, न देशी नुस्खों से कोराना ठीक होना न अन्य किसी दवाई…

आईआईटी – जेएनयू जैसे संस्थान विशिष्टता और अवतारवाद का ही पोषण कर समाज को पीछे धकेलने का काम कैसे करते है

जेएनयू विरोध के नाम पर मुख्यत: हमें जो सुनाई दिखाई पड़ता है वह यह है कि जेएनयू में लड़के लड़कियां सेक्स कर लेते है, कंडोम का प्रयोग किया जाता है,…

क्या यह संभव है कि किसी समाज में परिवार और संबंध सामंती मानसिकता से जिए जाते हो और देश और उसकी सरकारें लोकतांत्रिक हो जाए

स्त्री पुरुष को अपने सम्बंध चुनने के अधिकार नहीं है बड़े गर्व और सामाजिक सहमति के साथ हत्याएं होती रही है। बच्चों को जन्म से गुलाम माना जाता है। शिक्षा…

जिंदा

फेसबुक पर लिखने वाले जिंदा रहते है।व्हाट्सएप्प पर खून खौलाने वाले जिंदा रहते है।बदला लेने की बात कहने वाले राजनेता जिंदा रहते है।टीवी बक्सों में तू तू मैं मैं करने…