सेक्स और महिलाओं सम्बन्धी कुछ मिथक
आज की पोस्ट विशेष तौर पर पुरुषों (ख़ास तौर पर उन पुरुषों ) के लिए है जिन्हें महिलाओं सम्बन्धी बातें ठीक माहौल में पूछने, जानने का अवसर नहीं मिल पाता | महिलाओं की सेक्सुअलिटी आदि को ले कर अक्सर इन पुरुषों को कई प्रकार की भ्रांतियां होती हैं | जैसे, क्या औरतें भी...
  1. सेक्स करना चाहती हैं?
  2. Masturbate करती हैं?
  3. अपने बॉयफ्रेंड या अपने पति के अलावा दूसरे पुरुषों के प्रति आकर्षित होती हैं ?
  4. बिना प्रेम के सेक्स कर सकती हैं?
  5. पोर्न देखती हैं?
इन सब सवालों का सीधा जवाब है – ‘हाँ ‘ चाहें तो इस उत्तर को आप सीधा सीधा स्वीकार कर सकते हैं।  लेकिन इन सब सवालों के लम्बे जवाब भी हैं।  हमने पिछली पोस्ट्स में देखा है, कि हर चीज़ की तरह, सेक्सुअलिटी पर भी कंडीशनिंग का कैसा असर पड़ता है। 

चूँकि सामान्य तौर पर पितृसत्तात्मक समझ में महिलाओं पर रोक टोक, उनके प्रति कण्ट्रोल की, उनके अनुभवों को invalidate करने की प्रवृत्ति अधिक होती है, इसलिए उनकी सेक्सुअलिटी पर भी कंडीशनिंग का असर ज़्यादा पड़ता है।  ऐसे में उन्हें ले कर मिथक भी ज़्यादा बनते हैं। 

अब ऊपर लिखे प्रश्नों के उत्तर इस सन्दर्भ में देखते हैं।  अगर मनुष्य के लिए सेक्स नैसर्गिक है तो ऐसा सवाल ही क्यों कि क्या महिलाओं की सेक्स करने की इच्छा होती है? ज़ाहिर सी बात है कि महिला मनुष्य है, इसलिए सेक्स के प्रति इच्छा होना उसके लिए भी स्वाभाविक ही है।  अब यदि सेक्स के लिए महिला की इच्छा स्वाभाविक है, तो ज़ाहिराना तौर पर आत्म संतुष्टि भी सामान्य है।  इसका मतलब हाँ, महिलाएं masturbate भी करती हैं। 

महिलाओं का पुरुषों के प्रति (या queer महिलाओं का अन्य महिलाओं प्रति ) आकर्षण लुक्स, इंटेलिजेंस, प्रेम, उनकी सेक्स अपील, आदि पर वैसे ही निर्भर करता है, जैसे पुरुषों का महिलाओं के प्रति।  इसी तरह polyamory (एक से अधिक साथियों के प्रति आकर्षण ) महिलाओं में भी उतना ही सामान्य है, जितना पुरुषों में।  पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी ethics या polyamory में ईमानदारी कैसे बरती जाये, सीखना पड़ता है, सीखना चाहिए। 

Polyamory के सन्दर्भ में स्त्री और पुरुष में बस एक ही मुख्य फ़र्क है, वो ये कि बाकि सभी चीज़ों की तरह, मर्यादा, सीमाएं, वफ़ादारी, चरित्र, सही गलत आदि का पिटारा स्त्री के सर पर ज़्यादा लादा जाता है और पुरुष के सर पर कम।  आम तौर पर, ‘मर्द तो मुंह मारते ही हैं,’ ये कह कर मर्दों की प्रवृत्ति का सामान्यीकरण स्त्रियों की अपेक्षा अधिक होता है।  लेकिन, क्योंकि ये पोस्ट पितृसत्ता पर नहीं है, न ही polyamory पर, इसलिए प्रश्न पर वापस लौटते हुए, हाँ महिलाएं अपने बॉयफ्रेंड या अपने पति के अलावा दूसरे पुरुषों (या / और महिलाओं) के प्रति भी आकर्षित होती हैं। 

इसी तरह महिलाएं भी बिना प्रेम के सेक्स कर पाती हैं।  क्या सभी महिलाएं ऐसा कर पाती हैं? नहीं, न तो सब महिलाएं, न ही सब पुरुष ऐसा कर पाते हैं।  सबकी अपनी अपनी यौनिक या सेक्सुअल preferences या इच्छाएं होती हैं।  इसी तरह कुछ लोग पूछते हैं, पर फिर वो औरत (जिसने अन्य पुरुषों के साथ सेक्स किया हो ) मेरे साथ सेक्स क्यों नहीं करतीं?

पहली बात, उस औरत ने किसके साथ, कितनों के साथ सेक्स किया, ये आपका मुद्दा क्यों है ? दूसरी बात, एक या एक से ज़्यादा के साथ सेक्स करने, और किसी के भी साथ सेक्स कर लेना, दो अलग अलग बातें हैं।  तीसरी बात, एक से अधिक लोगों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने की इच्छा रखना , और असलियत में वो यौन सम्बन्ध बनाना अलग अलग बातें हैं।  चौथी सबसे ज़रूरी बात – Consent और agency। 

हर व्यक्ति को अपनी सहमति, और अपनी स्वायत्तता पर अधिकार है।  यदि उसकी अपनी इच्छा नहीं है आपके साथ सेक्स करने की, तो बात ख़तम।  अगर एक औरत एक पुरुष से सेक्स करने की इच्छा ज़ाहिर करे, और पुरुष मना कर दे, तो भी बात ख़तम। 

कंसेंट का मतलब बहुत सरल है – अगर बिना किसी manipulation, धमकी, झूठ, फरेब, के, चिकित्सकीय रूप से अविक्षिप्त ( Medically sane – sorry for the lack of a better phrase here ) दो वैधानिक रूप से वयस्क व्यक्ति एक दुसरे के साथ यौन सम्बन्ध बनाना चाहते हैं, तो उनकी सहमति कंसेंट कहलाती है। 

तो जो लोग पूछते हैं कि फलां महिला मेरे साथ सेक्स क्यों नहीं करती, ये समझ लें, कि कोई भी महिला अपने साथी का अपनी इच्छा से चुनाव करने की उतनी ही हक़दार है, जितना कोई भी पुरुष, और आपके ऐसे सवाल आपको डेस्परेट ज़्यादा साबित करते हैं, बजाय समझदार और आकर्षक के। 

और अब आखिरी सवाल का उत्तर – हाँ महिलाएं भी पोर्न देखती हैं।  शहरी महिलाओं के पास इंटरनेट, लैपटॉप, मोबाइल फ़ोन और प्राइवेसी होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।  कमाऊ आत्मनिर्भर महिलाओं के पास ये सुविधाएं होने की संभावना और भी अधिक होती है।  लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि और महिलाएं,औरतें लड़कियां इन सब मसाइल पर सोचती या बात नहीं करतीं।  सच ये है कि अगर आप एक महिला को मनुष्य समझने लगेंगे और अजूबा नहीं, तो आप जानेंगे कि महिलाओं के लिए भी ये सब करना सामान्य बात है। 


डिस्क्लेमर लेख में हम सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए कर रहे हैं ताकि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके। यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता। ऐसे ही, कृपया ये प्रयास मेरे साथ न करें। प्रश्न पूछना चाहें, तो गूगल फॉर्म संलग्न है, वहां पूछ सकते हैं।

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Anupama Garg
Anupama is an ever-evolving person, deeply interested in human behavior, specially human sexuality. She has vastly researched alternative sexual lifestyles and has also written a series of non-fiction books on the subject with a pseudonym.

She believes in transforming the outlook towards sexuality by structured, quality conversations, one at a time. Apart from this space, she works as a content specialist and researcher, writes poetry and sings for passion.

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