Sanjiv Kumar Sharma –

हम मानें या न मानें, अच्छा कहें या बुरा कहें, सोशल मीडिया के महत्व से इंकार करना अब संभव नहीं है। Whatsapp, Telegram, Twitter, Facebook, Linkedin आदि हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं। चाहे-अनचाहे ये हमारे जीवन को प्रभावित करते रहते हैं। सूचनाओं के आदान-प्रदान की इनकी ताकत असीमित है और कोई भी बात पलक झपकते ही अनगिनत लोगों के पास पहुंच जाती है। सोशल मीडिया की यह ताकत वरदान भी हो सकती है और अभिशाप भी। जब सेहत की बात आती है तो ऐसा लगता है सोशल मीडिया जागरूकता और जानकारी का प्रसार करने की बजाय मिथकों, भ्रांतियों और गलत जानकारी को फैलाने में ज्यादा लगा हुआ है।
जब मामला सेहत से जुड़ा हुआ हो जो गलत जानकारी न सिर्फ नुक़सानदेह साबित हो सकती है बल्कि कभी-कभी हमारी जान को भी खतरा हो सकता है। कभी कोई जादुई मसाला कुछ ही दिनों में बेली फ़ैट को गायब करके हमको स्लिम-ट्रिम बना सकता है तो कभी गर्म पानी पीने से हमारी धमनियों और शिराओं में जमा कोलेस्ट्रोल और ट्राईग्लिसरॉइड छूमंतर हो जाता है और हम मैराथन में भाग ले सकते हैं। कभी डिटॉक्स के नाम पर हमको अजीबोगरीब चीजें पीने की सलाह दी जाती है तो कभी खड़े होकर पानी पीने से हमारे जोड़ खराब हो जाते हैं।
वास्तव में सही जानकारी में उतना आकर्षण नहीं होता क्योंकि वह तुरत-फुरत हल नहीं सुझाती और न ही बढ़-चढ़ कर सफलता के दावे करती है। इसके विपरीत गलत जानकारी जादुई दावों, चमत्कारी असर और अद्भुत प्रभावों से भरपूर होती है इसलिए उसका आकर्षण अलग ही स्तर का होता है और उसे बताते, सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए व्यक्ति की ईगो को जो संतुष्टि मिलती है (देखो मुझे कितनी बढ़िया जानकारी है) और सुनने या पढ़ने वाले को जो राहत मिलती है वह सही जानकारी में मिलना जरा मुश्किल होता है।
इन तीन फ़िल्टरों से निकलने के बाद जो जानकारी बचे उसे प्रयोग करने पर हम विचार कर सकते हैं।

फ़िल्टर 1 – कॉमन सेंस

अंग्रेज़ी में कहावत है कि Common Sense is most uncommon यानी कॉमन सेंस का मिलना कॉमन नहीं है। वास्तव में कॉमन सेंस या सहज ज्ञान दिमाग की एक ऐसी विशेषता है जिसके लिए कोई विशेष प्रशिक्षण, अध्ययन या शोध की जरूरत नहीं होती, बस थोड़ी समझ, थोड़ा सोच-विचार व खोजबीन करने वाला दृष्टिकोण और अधिकांश दावों की सच्चाई सामने आ जाती है। अब यदि कोई यह दावा कर रहा कि अमुक चीज को खा कर आपकी डायबटीज़ चुटकियों में ठीक हो जाएगी या कोई खास मसाले का पानी पीते ही आपका सारा बढ़ा हुआ वजन पलक झपकते ही गायब हो जाएगा तो आपको इन दावों की सच्चाई समझने के लिए किसी तरह की पीएचडी करने की जरूरत नहीं है।
सबसे जरूरी समझने वाले बात यह है कि हमारी 70% बीमारियाँ लाइफस्टाइल या जीवनशैली की गड़बड़ियों के कारण होने वाली बीमारियाँ हैं। यदि हम उन गड़बड़ियों को दूर नहीं करते तो कोई दवा, कोई जड़ी, कोई बूटी या कोई रसायन उसका वास्तव में उपचार नहीं कर सकती। उल्टे बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के ली हुई यह सब चीजें हमारे शरीर में और गड़बड़ी कर सकती हैं और हमारी आँतों, जिगर या गुर्दों की ऐसी-तैसी भी कर सकतीं।

फ़िल्टर 2 – गूगल से पूछें

जब भी कोई जानकारी आपको सोशल मीडिया से मिले जिसमें किसी सुदूर देश में की गयी अद्भुत रिसर्च के हैरतअंगेज नतीजों के बारे में बताया गया हो कि कैसे किसी सुपरफ़ूड को खाते ही सेहत का सागर हिलोरें मारने लगा या कोई जादुई तेल लगाते ही बाल दुबारा उग आए तो उस जानकारी को आप गूगल पर चेक कीजिए। चेक करने का काम भी इत्मीनान से कीजिए क्योंकि अक्सर ऊटपटांग जानकारी वाली वेबसाइट भी सामने आ जाती हैं, इसलिए वेबसाइट का भरोसेमंद होना भी जरूरी है। इसके अलावा उस बात की एक से ज्यादा विश्वसनीय वेबसाइट से पुष्टि होना उसके सही होने की संभावना को कई गुना बढ़ा देता है।

फ़िल्टर 3 – विशेषज्ञ से परामर्श

अक्सर हम को सोशल मीडिया पर सेहत संबंधी जो जानकारी मिलती है वह किसी न किसी पैथी के हवाले से होती है, जैसे प्राकृतिक चिकित्सा के मुताबिक या आयुर्वेद के मुताबिक। यदि आप किसी भी इस तरह की जानकारी को गंभीरता से अपने जीवन में उतारना चाहते हैं या अपना कोई रोग उसके माध्यम से ठीक करना चाहते हैं तो सबसे पहले उस पैथी के किसी अनुभवी विशेषज्ञ से उसके बारे में पूरी जानकारी कर लें।


An author, thinker, translator and a travel-enthusiastic visited almost all states of India in his wheelchair. He had polio paralysis of both the lower limbs at an early age and could not get into the formal system of education, ie schooling. On his own, he started with formal mainstream education at home, and appeared in few exams privately but soon realised about the inadequacy of traditional approach to education and started self-study in his way.

Sanjiv stayed in a room for more than 12 years and spent time in reading books, writing, translating and contemplating on vital issues of human life, society and religion. He has studied literature, philosophy, science, religion and psychology. He started writing during adolescent and continues to write till the date. He has written many articles, poems and stories which got published in various newspapers and magazines. With the area of social media, he also has turned into a prolific writer on the internet.