Category: कविता

उदासी : चार कविताएं

राजेश्वर वशिष्ठ 1.रुद्र प्रयाग में बड़े वेग से लुढ़क रहा है जल चट्टानों की त्रिवली में.किनारों पर कांप रहे हैं पेड़ और घुमावदार सड़कें किसी पुराने मंदिर की साक्षी में.अचानक…

संविधान पार्क

विजेंद्र दिवाच एक यूनिवर्सिटी मेंसंविधान पार्क के निर्माण का काम चल रहा था,रात के आठ बजे तक मजदूरों का पसीना बह रहा था,आठ दस साल का बच्चा बजरी छान रहा…

मछलियों के लिए महाभारत

राजेश्वर वशिष्ठ वे एकमत नहीं थेसम्भावित तूफान को लेकर।उनकी नावें और जालपड़े थे किनारे परपेट में भूख तड़प रही थीकिसी मछली की मानिंदवे निराश थेपाँच पाण्डवों की तरह। धर्मराज युधिष्ठिर…

काशी/बनारस/वाराणसी

राजेश्वर वशिष्ठ इन दिनों खामोश है काशीबेचैन है बनारसऔर उद्वेलित है वाराणसीभीड़ बहुत हैजो नहीं आई है शिव खोजनेवे यहाँ मर करमुक्ति पाने भी नहीं आए हैंपाण्डवों की तरह ब्रह्म-हत्या…

दो चाय और बीड़ी

विजेंद्र दिवाच पत्थर पीस – पीसकर खुद पूरा सफेद हो जाता है,बच्चों को भूत लगता है,देखने वाले को तो हड्डियों का ढांचा नजर आता है,कहीं चप्पल फैक्ट्री में दो सौ…

जीवन नहीं जीते

विजेंद्र दिवाच देखते – देखते कुछ नहीं देखते,सुनते – सुनते कुछ नहीं सुनते,चलते – चलते कहीं नहीं चलते,रुकते – रुकते कहीं नहीं रुकते,हकलाते – हकलाते कभी नहीं हकलाते,बतलाते – बतलाते…

तितलियाँ

कैद से जब छोड़ी जाती है तितलियांखो देती है कुछ रंग अपना,पंखों में भी जो पाये होते है उसने अपने प्राकृतिक संघर्ष से उनमें भीफिर तारम्यता की जगह आ जाती…

जिंदा

फेसबुक पर लिखने वाले जिंदा रहते है।व्हाट्सएप्प पर खून खौलाने वाले जिंदा रहते है।बदला लेने की बात कहने वाले राजनेता जिंदा रहते है।टीवी बक्सों में तू तू मैं मैं करने…

पुनर्जन्म

Nishant Rana मेरा पहला पुनर्जन्म था जब मैंने तोड़े थे बंधन बोल के महीनों की चुप्पी के बाद रोया था पूरी जान से।उसके बाद मैं मरता रहा निरन्तर बिना किसी…

आजादी!

सुबह 8 से रात के 8 तक डयूटी बजाने वालो को,बन्द कमरों में पढ़ते रहने वाले देश के नौजवानों को,पैसा कमाने के नाम पर जीना भूल जाने वाले लोगों को,जीवन…