Common Diet Myths
Sanjiv Kumar Sharma – No, breakfast is not the most important meal! ‘Breakfast like a king; lunch like a prince; dinner like a pauper!’ We have been repeating it without…
Economical, Educational, Health and Water Self-dependency with the help of Natural Farming and Social Governance
Sanjiv Kumar Sharma – No, breakfast is not the most important meal! ‘Breakfast like a king; lunch like a prince; dinner like a pauper!’ We have been repeating it without…
Sanjiv Kumar Sharma – पार्किन्संस का नाम सुनते ही कई तरह की छवियां हमारी आँखों के सामने तैर जाती हैं। अधिकांश में एक असहाय वृद्धा या वृद्ध होता है जो…
Dr. Sanjay Shraman कुछ मित्र गौतम बुध्द के विषय में ओशो/रजनीश द्वारा की गई प्रशंसा से बड़े प्रभावित हो रहे हैं. वे जानते नहीं कि इस तरह की प्रशंसा के…
विजेंद्र दिवाच एक यूनिवर्सिटी मेंसंविधान पार्क के निर्माण का काम चल रहा था,रात के आठ बजे तक मजदूरों का पसीना बह रहा था,आठ दस साल का बच्चा बजरी छान रहा…
Sanjay Shraman निर्वाण या समाधि के बारे में बार-बार पूछा जाता है, और पूछने वालों का मकसद अक्सर यही होता है कि एक अनुभव के रूप में इसे कैसे समझा…
अखिलेश प्रधान अभी तक के जीवन में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष तरीके से जितने भी सामाजिक कार्यकर्ता सेलिब्रिटी क्रांतिकारी सरीखे लोग मिले, आज उनको लेकर एक बात बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूं…
राजेश्वर वशिष्ठ वे एकमत नहीं थेसम्भावित तूफान को लेकर।उनकी नावें और जालपड़े थे किनारे परपेट में भूख तड़प रही थीकिसी मछली की मानिंदवे निराश थेपाँच पाण्डवों की तरह। धर्मराज युधिष्ठिर…
राजेश्वर वशिष्ठ इन दिनों खामोश है काशीबेचैन है बनारसऔर उद्वेलित है वाराणसीभीड़ बहुत हैजो नहीं आई है शिव खोजनेवे यहाँ मर करमुक्ति पाने भी नहीं आए हैंपाण्डवों की तरह ब्रह्म-हत्या…
विजेंद्र दिवाच पत्थर पीस – पीसकर खुद पूरा सफेद हो जाता है,बच्चों को भूत लगता है,देखने वाले को तो हड्डियों का ढांचा नजर आता है,कहीं चप्पल फैक्ट्री में दो सौ…
विजेंद्र दिवाच देखते – देखते कुछ नहीं देखते,सुनते – सुनते कुछ नहीं सुनते,चलते – चलते कहीं नहीं चलते,रुकते – रुकते कहीं नहीं रुकते,हकलाते – हकलाते कभी नहीं हकलाते,बतलाते – बतलाते…
अखिलेश प्रधान 1. ये लोग कभी भी अपनी बराबरी ( शारीरिक सुंदरता और मानसिक योग्यता के मामले में ) के लोगों को अपना दोस्त नहीं बनाते हैं, अपने से नीचे…
भाग – 2 Nishant Rana शुरुआत भारतीय समाज को साथ लेकर कुछ बातों की पड़ताल करते है – भारत का ग्रामीण समाज जहां विकास धीमी गति से ही पहुंचा। इस…
भाग 1 तानाशाह स्तालिन – Nishant Rana 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद स्तालिन ने अपना ही इतिहास लिखना शुरू किया। इसकी शुरुआत स्तालिन ने की सेंसरशिप के साथ।…
Chaitanya Nagar अक्सर नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों में पैसों और ज्यादा सामाजिक ताकत की अदम्य भूख देख कर लगता है कि हम एक समाज के रूप में निरंतर अभावग्रस्त ही…