Nishant Rana

हमें अपने खांचे इतने पसंद है कि जो हमारे खांचों में फिट बैठता है बस वहीं भगवान का दूसरा रूप है जो हमारे खांचों से अलग है उसे केवल इसलिए गालियां देंगे की हमारे खांचे वाला ऊपर दिखाई दे।
आजादी के समय सबका योगदान था भगत सिंह, आजाद , गांधी , अम्बेडकर , नेहरू , सुभाषचंद्र आदि आदि। इन सभी को आज खेमे में बांट दिया गया है अलग अलग खेमों द्वारा गरियाया ही जाता है प्रेमचंद, टैगोर आदि को भी नहीं बख्शा जाता केवल इसलिए कि वह सब आपकी पसंद के हिसाब से काम क्यों नही कर रहे थे, भले ही हम खुद तमाम मकड़ जालों में फंसे हो , एक निश्चित पैटर्न में जीवन जी रहे हो, अपने ही स्वार्थ, सुरक्षा , सुविधाओं के लिए जीवन बिता रहे हो और वह सब इसलिए जब कभी कभार हमारा अंतर्मन हमें धिक्कारता है तो हम तुरन्त अपनी जिम्मेदारी किसी दूसरे पर डाल देना चाहते है, अपना पल्ला दूसरों पर झाड़ लेने से खुद को जिम्मेदार ठहराने वाली ऊर्जा से कुछ समय के लिए मुक्ति या शांति तो मिल ही जाती है।
हर व्यक्ति के जीवन के अलग अलग घटना क्रम है , अलग अलग परिस्थितियां है, हर व्यतित्व का विकास अलग है, अलग अलग काम करने के तरीके है ,  अलग अलग क्षेत्रों में रुचि व प्रतिभा है। जिस व्यक्ति की जैसी समझ और तासीर बनती जाती है उसी के हिसाब से जीवन जीता है जो जिसे उचित लगता है उसी समझ से सामाजिक योगदान भी करता है। कोई नेतृत्व अच्छा करता है , कोई लिखता अच्छा है, किसी का सामाजिक चिंतन बहुत गहरा है किसी का वैज्ञानिक पक्ष मजबूत है। हां हर जीवन के असर, संदेश बहुत सीमित से लेकर बहुत व्यापक हो सकते।
कोई व्यक्ति भगवान भी नहीं है, समय जीवन भी निश्चित ही है जिसकी जैसी समझ थी उसने अपना जीवन होम करके देश समाज के लिए काम किया। हम कब देखेंगे कि समाज एक व्यक्ति नहीं बनाता यह मिलजुल कर बनता है। हम कब खांचों से मुक्त होकर वाकई अपनी जिम्मेदारी समझेंगे कब इन लोगों को अलग अलग गरियाने के बजाय इनके सामूहिक नेतृत्व से सीख लेंगे।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना के साथ बस इतना ही कि आजादी, लोकतंत्र कोई एक दिन या एक बार की विषय-वस्तु नहीं है। रोने की भी नहीं की है  यह प्रत्येक मनुष्य की जिमेदारी है की जितना हमारे पूर्वज हमारे लिए परिस्थितियां जितनी सुगम बना कर गए हम अगली पीढ़ियों को बेहतर लोकतांत्रिक मूल्य और समाज देकर जाए।

Nishant Rana

Social thinker, writer and journalist. 
An engineering graduate; devoted to the perpetual process
of learning and exploring through various ventures
implementing his understanding on social, economical,
educational, rural-journalism and local governance.