अखिलेश प्रधान
1. ये लोग कभी भी अपनी बराबरी ( शारीरिक सुंदरता और मानसिक योग्यता के मामले में ) के लोगों को अपना दोस्त नहीं बनाते हैं, अपने से नीचे या अपने से कम सुंदर दिखने वाले को ही अपना करीबी दोस्त बनाते हैं ताकि वह उनके नीचे दबकर रहे और आजीवन एक गुलाम की भांति उनका सम्मान करे। ( जीवन सहचर वाले मामले में भी यही नियम लागू होता है )
2. आत्ममुग्ध लोगों में बहुधा यह गुण देखने को मिलता है कि वे अपने पति/पत्नी का या फिर अपने माता-पिता का हद से अधिक गुणगान करते हैं, जबकि हकीकत में वे उस लायक होते नहीं हैं। ऐसा करके वे अपने आप को मजबूती से पेश करने की कोशिश कर रहे होते हैं, अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित करने का यह सबसे दोयम/छिछला तरीका होता है।
3. आत्ममुग्ध लोगों को हमेशा अपनी तारीफ करने वाला कोई चाहिए होता है, ये हमेशा दूसरों की अटेंशन पाने की चाह रखते हैं और इसके लिए वे किसी भी स्तर तक जा सकते हैं।
4. इनमें अपनी मूर्खताओं, जड़ताओं को लेकर धेला भर भी स्वीकार्यता नहीं होती है, उल्टे उसे छिपाने की कोशिश करते फिरते हैं।
5. इन्हें इस बात का भयानक गुरूर होता है कि इनकी हर चीज सर्वोत्तम है, श्रेष्ठ है।
6. आत्ममुग्ध स्त्री एवं पुरूष दोनों में यह एक गुण पाया जाता है कि विपरित लिंग आकर्षण के मामले में ये बताते फिरते हैं कि दर्जनों लोग उनके आगे पीछे घूमते हैं। असल में यही इनके भीतर की असुरक्षा को दर्शाता है।
7. इनके हर दूसरे वाक्य में आपको बेवजह एक अजीब किस्म का रहस्य मिलेगा। आपको एक पल के लिए महसूस होगा कि सामने वाला कितना खुलकर स्पष्ट होकर मन से दिल से अपनी बात कह रहा, अगले ही क्षण आपको ऐसा महसूस करा देंगे कि लगेगा कि ये आपको जानते ही नहीं।
8. आत्ममुग्ध लोगों में एक यह गुण कूट-कूटकर भरा होता है कि इन्हें अपने आगे-पीछे मूर्ख लोगों की फौज लेकर चलना पसंद होता है, क्योंकि ये खुद भी उसी टोले के होते हैं, तभी टोले का सरदार बनने का स्वांग रचते हैं।
9. आत्ममुग्ध महिला हो या पुरूष इनके बहुत कम दोस्त यार होते हैं, दोस्त यार के नाम पर अमूमन पीठ खुजाने वालों का एक झुण्ड होता है जो कि अस्थायी होता है, परिवर्तित होता रहता है।
10. व्यवहार में ये पल-पल बदलते मौसम की तरह होते हैं, कभी बरस जाएंगे तो कभी ठिठुर जाएंगे तो कभी धूप की तरह खिलने लगेंगे। बस सामने वाला कभी इस बात की थाह न पाए, इसकी पूरी व्यवस्था करते हुए चलते हैं।
11. आजीवन लोगों के दिमाग से खेलते हैं, भ्रम पैदा करते रहते हैं, असल में उन्हें इस काम में अजीब किस्म का आनंद मिलता है।
12. आत्ममुग्ध व्यक्ति को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया में क्या बेहतर चीजें चल रही है, उन्हें बस अपनी मूर्खताओं का महिमामण्डन होता दिखना चाहिए।
13. आत्ममुग्ध व्यक्ति आपको एक गिलास पानी भी पिला दिया तो आने वाले एक साल तक उसे गिनाता फिरेगा कि मैं देखो मैं इतना महान हूं तुम्हें पानी पिलाया था। आप इस अहसान के बोझ तले दबते जाते हैं। एक वाक्य में कहूं तो ये जताते बहुत हैं।
14. आत्ममुग्ध व्यक्ति अपेक्षाकृत शारीरिक सुंदरता का धनी होता है, इतना होता ही है जितने में टोली का सरदार बन सके।
15. इनके लिए रिश्ते सेंसेक्स के आंकड़े होते हैं। आंकड़ा परिवर्तित होता रहता है।
16. स्वयं के लिए फिजूलखर्ची और बाकि दुनिया के लिए मक्खीचूस वाला स्वभाव होता है।
17. आत्ममुग्ध व्यक्ति भयानक विनम्र होता है, अब इसे आप कैसे देखते हैं यह आप पर है। ये हमेशा मीठी छुरी ही चलाते हैं, कभी गुस्सा नहीं जताएंगे, कभी हिंसा नहीं दिखाएंगे, भले भीतर ज्वालामुखी क्यों न फूट रहा हो लेकिन खुद को हमेशा मासूमियत के साथ ही पेश करते हैं। आपका मन लगा रहता है। असल में यही इनके जीने का modus operandi होता है।
18. ऐसा नहीं है कि आत्ममुग्ध व्यक्ति सिर्फ अपने में ही मुग्ध रहते हैं, ये दूसरों की तारीफ भी करते हैं, बस ये है कि इनकी तारीफ किसी जहरीले किंग कोबरा से पप्पी लेने जैसा है, यह आप पर है कि आप कितना विष पचा पाते हैं।
19. इनका स्वभाव पानी के बुलबुले जैसा होता है। आपको लगेगा कि बहुत कुछ है, एक विशाल, विराट,अद्भुत, अप्रतिम, विलक्षण व्यक्तित्व का अहसास, लेकिन सब कुछ बाॅम्बे मिठाई (काॅटन कैण्डी) की तरह हवा हवाई होता है।
20. रचनात्मक लोगों को चाहिए कि वे आत्ममुग्ध लोगों से एक निश्चित दूरी बना कर चलें, क्योंकि रचनात्मकता के स्तर पर अपूरणीय क्षति होने की भरपूर गारंटी होती है।
अखिलेश प्रधान –
Writer, Thinker and First and Foremost a Wanderer