Month: May 2024

संविधान पार्क

विजेंद्र दिवाच एक यूनिवर्सिटी मेंसंविधान पार्क के निर्माण का काम चल रहा था,रात के आठ बजे तक मजदूरों का पसीना बह रहा था,आठ दस साल का बच्चा बजरी छान रहा…

दार्शनिक फ्रेम में निर्वाण को कैसे देखे

Sanjay Shraman निर्वाण या समाधि के बारे में बार-बार पूछा जाता है, और पूछने वालों का मकसद अक्सर यही होता है कि एक अनुभव के रूप में इसे कैसे समझा…

मानव बम

अखिलेश प्रधान अभी तक के जीवन में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष तरीके से जितने भी सामाजिक कार्यकर्ता सेलिब्रिटी क्रांतिकारी सरीखे लोग मिले, आज उनको लेकर एक बात बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूं…

मछलियों के लिए महाभारत

राजेश्वर वशिष्ठ वे एकमत नहीं थेसम्भावित तूफान को लेकर।उनकी नावें और जालपड़े थे किनारे परपेट में भूख तड़प रही थीकिसी मछली की मानिंदवे निराश थेपाँच पाण्डवों की तरह। धर्मराज युधिष्ठिर…

काशी/बनारस/वाराणसी

राजेश्वर वशिष्ठ इन दिनों खामोश है काशीबेचैन है बनारसऔर उद्वेलित है वाराणसीभीड़ बहुत हैजो नहीं आई है शिव खोजनेवे यहाँ मर करमुक्ति पाने भी नहीं आए हैंपाण्डवों की तरह ब्रह्म-हत्या…